Rajasthan School Meals Cost Crisis: राजस्थान में मिड-डे मील योजना बच्चों को पोषण और शिक्षा से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है हालांकि, बढ़ती महंगाई ने इस योजना को बड़े संकट में डाल दिया है।
स्कूल प्रशासन और प्रबंधन समितियां इस योजना को सुचारु रूप से चलाने में असमर्थ हो रही हैं।
बढ़ती महंगाई का असर मिड-डे मील पर
महंगाई के कारण खाना पकाने के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे तेल, मसाले, गैस सिलेंडर, हरी सब्जियां और फलों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं इससे स्कूलों को बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है।
बजट की सीमाएं और उनका प्रभाव
वर्तमान में, कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए ₹5.45 और कक्षा 6 से 8 तक के लिए ₹8.17 प्रति बच्चा आवंटित किया जाता है यह राशि खाद्य पदार्थों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए भी अपर्याप्त है।
रसोइयों की दुर्दशा
रसोइयों (कुक-कम-हेल्पर्स) को मात्र ₹2,143 प्रति माह का मानदेय मिलता है, जो दैनिक मजदूरी के मानकों से बहुत कम है।
- उन्हें अक्सर 4 से 6 महीने तक भुगतान नहीं किया जाता।
- कई रसोइयों ने काम छोड़ दिया है, जिससे स्कूलों को वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है।
पोषण पर संकट और घटती गुणवत्ता
हरी सब्जियां और फल, जो सप्ताह में दो बार अनिवार्य रूप से दिए जाने चाहिए, अब मेन्यू से गायब हो रहे हैं।
- दाल को पतला करना और खाने के हिस्से को घटाना आम हो गया है।
- पोषण की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर प्रभाव पड़ा है।
मेन्यू पर महंगाई की मार
प्रत्येक सप्ताह रोटी-सब्जी, दाल-चावल, खिचड़ी आदि पर आधारित मेन्यू का पालन करना अब संभव नहीं रह गया है।
- मूंग दाल: ₹110 प्रति किलो
- सरसों तेल: ₹150 प्रति लीटर
- जीरा: ₹300-₹450 प्रति किलो
समस्याओं का समाधान और सुधार की आवश्यकता
शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता सरकार से बजट बढ़ाने और कुक-कम-हेल्पर्स के लिए बेहतर वेतन की मांग कर रहे हैं।
- रसोइयों को नियमित वेतन ₹23,465 प्रति माह मिलना चाहिए।
- इन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
सरकार द्वारा किए गए छोटे प्रयास
- सप्ताह में एक दिन मेन्यू में बदलाव की अनुमति दी गई है।
- गुरुवार को फलों का प्रावधान किया गया है।
हालांकि, ये कदम केवल सतही समाधान हैं और मूल समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे।
शिक्षा और पोषण की सुरक्षा का आह्वान
महंगाई और अपर्याप्त फंडिंग ने इस योजना को एक बड़ी चुनौती बना दिया है राज्य सरकार को बच्चों के पोषण और कर्मचारियों की स्थिति में सुधार के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे।